Sunday, February 1, 2009

राम

हिंदू संस्कृति मे जितना नाम सम्मान राम को दिया गया है उतना सम्मान और किसी को नही दिया गया है। सारा हिंदुत्व राम पर टिका हुआ है। अगर तुम भारत की संस्कृति से राम को हटा दो तो फिर उसमे कुछ खास नही बचता। हमें बचपन से सिखाये जाते हैं की राम जैसा बन। हुन्दुस्तान ने सिर्फ़ इतिहास की तरफ़ देखा है। हमारा इतिहास अच्छा था। की कभी राम हुआ होगा। पर वर्तमान बहोत ख़राब है. अब राम लाखो साल पहले हुए। और हम लाखों साल से राम के गीत गा रहे हैं। राम नाम जप रहे हैं। राम से भी अच्छे आदमी हुए होंगे। जिनका हमें कुछ भी नही पता। क्योंकि उनके बारे मे कोई अयन नही लिखा गया था। ऐसा नही की नही लिखा जा सकता tha, नही लिखा गया। राम ने काफ़ी अच्छे काम किए। इस से हमें क्या फर्क परता है। बहुतों ने बहोत अच्छे अच्छे काम किए हैं और किए होंगे। तो? अच्छा का वोही सिद्धांत था की अच्छाई अपने जगह पर होती है। इसका मतलब ये नही की हम उसे पकर लें। हमने राम को लाखों वर्षों से पकर के रखा है। कुछ भी कोई तो राम ने ऐसा किया था। हिन्दुओं की साड़ी चेतनाएं राम के इर्द गिर्द घूमती हैं। राम ने ऐसा किया तो हम भी ऐसा करेंगे। हमने सिर्फ़ इतिहास मे झाँका है। हमारा कोई भविष्य नही है। बस हमारा इतिहास स्वर्णमय था। और उसी के बारे मे गीत हो रहते हैं। की अब कोई राम पैदा नही हो सकता है। अब राम या राम से अच्छे व्यक्ति के पैदा होने अब कोई भी सम्भावना नही है. अब कोई भी आदमी पैदा हो वो राम जैसा नही हो सकता है । क्योंकि राम मनुष्य जाती की सर्वोत्तम पराकाष्टा का नाम है। हमारा कोई भी भविष्य नही है। बस हमारा अतीत अच्छा था। इतने सारे वेद, उपनिषद, पुराण इस बात के गवाह हैं। हिन्दुस्तान की पास जितने धार्मिक ग्रन्थ हैं उतने पुरी दुनिए मे नही होंगे। लेकिन इसका मतलब ये नही की हम भी बहोत धार्मिक हैं। हिन्दुस्तान मे हजार चोर पैदा होते हैं तो फिर एक राम पैदा होता है। पाश्चात्य देशों मे राम कम पैदा होते हैं पर वहां चोर भी कम पैदा होते हैं। हिन्दुस्तान मे साधुओं और संयासिओं की संख्या इतनी जादा इसलिए है क्योंकि यहाँ चोरों की संख्या भी बहोत जादा है। साधू और चोर का बहोत ही पारस्परिक सम्बन्ध है। साधू वहीँ पैदा होते हैं जहाँ चोर पैदा होते हैं। चोरों के बिना साधू का क्या प्रयोजन? साधू का काम ही यही है की चोर को उसके पापों से मुक्त करना। तो हमने राम जैसे मानव इसलिए पैदा किए की हमारे पास चोरों की संख्या बहोत जादा हो गई थी। चोर इतने जादा हो गए थे की राम को आना पारा। राम हमारी परम्परा के धरोहर तो हैं हिं, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, पर उनसे हमारे समाज की निकृष्टतम स्वरुप की रूपरेखा भी झलकती है - जैसे की रावण।

2 comments:

रेवा स्मृति (Rewa) said...

Hi Shubh,

I appreciate your writing....but about this topic I have some differ views from you. Could I use this post in my upcoming blog topic? I too want to discuss on hindutva on my blog. If you permit then only I will link it.

Shubh said...

Hi Rewa Thanks for ur comment :-)

Yes please feel free to use this post for ur blog. Would be interesting to discuss Hinduism :)