Saturday, December 20, 2008

ज्ञान

ज्ञान शब्द को हमने ठीक से नही समझा हैज्ञान का आनुभौतिक अर्थ है मुक्तिकिताबों मे जो ज्ञान हैं वो ज्ञान नही हैं वो सूचनाएँ हैंवो ज्ञान के बारे मे सूचनाएँ हैंमुझे आश्चर्य है की ज्ञान को प्राप्त करने के लिए अरबों खरबों प्रकार की पुस्तकें लिखी गईंज्ञान की काफ़ी गहराई मे अज्ञान ही बचता हैहम ज्ञान को पकर लेते हैंऔर आजीवन परके रहते हैंज्ञान यही कहता है की मुझे पकरो नहीमुक्त रहोज्ञान अपने जगह पर है, हम अपने जगह पर हैंलेकिन कभी कभी हम अपनी अभिव्यक्ति ज्ञान के ऊपर रख देते हैंइतना ही नही हम यह सोचने लगते हैं की हम ही ज्ञान हैंज्ञान सिर्फ़ इतना कहता है की मुझे जानो और छोरोपकरो नहीसमाज मे जब जब अज्ञानी लोगों की संख्या बढती है तो उस समाज मे पुस्तकों की संक्या बढ़ जाती हैपहले तो हम यह समझे की हम सही मे अज्ञानी हैंहम अज्ञानी हुए कब? हमने कभी कुछ ऐसा तो किया नही की हमारा अज्ञान बढेहो वही रहा है, हम अज्ञानी नही हैं पर हमने मान लिया है की हम अज्ञानी हैंअज्ञान मान्यता का है, सत्य नही हैबस मान्यता गिर जाए तो उसी समय अज्ञान ज्ञान हो जाता हैंकिताब पढ़ के जादा कुछ होता नही है, सिर्फ़ हमारी मान्यताएं ही गिरती हैंऔर कभी कभी अज्ञान जिसको हमने ज्ञान मन लिया है वो वास्तविक ज्ञान को होने से रोक देता हैज्ञान ज्ञान को रोक देता हैअज्ञान ज्ञान को रोक देता हैज्ञान कुछ भी हो उसका मूल अर्थ इतना ही है की ज्ञान अपने जगह पर हैहम अपने जगह पर हैंहम मे और ज्ञान मे जादा कुछ लेना देना नही हैबस साक्षी भाव का sambandh हैहम ज्ञान के प्रति साक्षी हैंज्ञान अपने जगह पे, हम अपने जगह पे और हम ज्ञान के प्रति साक्षी हैंहम ज्ञान नही हैंहमें ज्ञान को पकरना नही हैहम जीवन भर उस ज्ञान को पकरते हैंऔर जीवन के अन्तिम क्षणों मे हमारा वोही ज्ञान हमारे किसी काम नही आतासारे ज्ञान विदा हो जाते हैंविदा की बात तो तब जब हमने उस ज्ञान को पकरा होइसलिए हमें दुःख होता हैक्योंकि सारा जीवन तो हमने उस ज्ञान को पकर के बितायाइसलिए अगर हम ज्ञान को पकरे नही तो ज्ञान के विदा होने का प्रश्न ही नही है। फिर जीवन सुखमय होगा। बस इतना ध्यान रखना की "हम ज्ञान को पकरे नही" यह भी एक प्रकार का ज्ञान है और इसे मत पकर लेना।

2 comments:

Unknown said...

Complicated Blog, I don't understand what exactly u r trying to say.
What u r trying to say we have become too much of gyani or we are not ready to accept that we are agyani?

Shubh said...

What essentially it means is - "You have knowledge but, you are not the knowledge" :-)