Sunday, October 12, 2008

सत्य की खोज

जीवन दुःख हैबुद्ध ने ठीक कहा थाबुद्ध का पहला वचन था की जीवन दुःख हैठीक कहा था उन्होंनेकुछ भी करो उसका अन्तिम परिणाम दुःख होता हैये संसार दुःख सागर हैदुःख सागर कहना भी कम परेगादुःख का ऐसा सागर जिसकी गहराई अनंत हैमैंने इसे अनुभव किया हैकरते ही दुःख हो जाता हैकुछ भी शाश्वत नही है यहाँलेहमन ब्रोदर डूब गयाकोई नही बचा पायासारा एम्.बी. का ज्ञान धरा का धरा रह गया और डूब गयाबनाया गया था इसलिए डूबा, अगर नही बनाया जाता तो नही डूबतायह जीवन बना है, इसलिए डूबेगाजो बनता है डूब जाता हैदेर सबेर डूब ही जाता हैजिसे प्रेम करो उसी से अप्रेम हो जाता हैपर दुःख मान्यता का ही हैअगर दुःख का कारण है तो उसे समाप्त किया जा सकता हैअगर दुःख का कारन हो तो उसे समाप्त नही किया जा सकता हैफिर दुःख शाश्वत हो जाएगाऔर अगर दुःख शाश्वत हो जाए तो दुःख दुःख रहेगा, फिर दुःख ही सत्य हो जाएगापर जिन जिन लोगों ने जीवन को बहोत ही गहराई से परखा है उनका यही कहना है की दुःख शाध्वत नही हैउन्होनों सुख की शाश्वत किरण को देखा होगाएक किरण काफ़ी हैअगर तुम्हे सुख की एक भी किरण दिखाई परने लगे तो वो तुम्हे अनंत तक ले जा सकता हैजैसे की तुम अगर सूर्य की एक भी किरण को पकर लो तो वो तुम्हे सूर्य तक पंहुचा सकता हैपर उस किरण को समझने के लिए थोरा सा ज्ञान चाहिएज्ञान मे वो शक्ति है जो कर्म के बंधन से मुक्ति दिला सकेइसलिए मैंने ज्ञान को सर्वोपरि माना है। हालाँकि, कलयुग मे मंत्र योग की ही गाथा गाई गयी हैचैतन्य महाप्रभु इसके बहोत बारे समर्थक रहे हैंक्योंकि कलयुग का आदमी दीन हीन होता हैउस से हठयोग जैसे कठिन साधना सम्भव नही हो सकेगीइसलिए मंत्र योग का प्रावधान है कलयुग मेपर इसका मतलब यह नही है की लोग मंत्र योग के अतिरिक्त कोई और योग करेअबतक एक मेरे अनुभव के अनुसार मैंने ज्ञान योग को ही सर्वोपरि माना हैमेरा मानना ग़लत भी हो सकता हैया ऐसे कहे की मेरे लिए ज्ञान योग सरलतम मार्ग हैकिसी और के लिए भक्ति मार्ग सरल हो सकता है, किसी की लिए हठयोग सरल हो सकता हैमार्ग कुछ भी हो, पर अन्तिम परिणाम मुक्ति हैहम वस्तुतः इस शरीर मे कैद हैंयह शरीर जेल जैसा हैधयान के माध्य से इस शरीर के बहार निकला जा सकता हैध्यान तुम्हे अनंत तक ले जा सकता हैखुले आकाश मे विचरण करा सकता हैआकाश के बारे मे मे दो शब्द कहना चाहता थासबसे पहले आकाश का निर्माण हुआ थाखुला आकाशइसलिए आकाश को मात्र देखने मात्र से ब्रह्म की अनुभूति होती हैइसलिए हम इश्वर को जब भी याद करते हैं तो आकाश की तरफ़ देखते हैंजीसस को तुमने देखा होगा आकाश की तरफ़ देखते हुएआकाश ब्रह्म का शुद्धतम रूप हैएक समय था जब हम थे, आकाश थाएक समय होगा जब हम रहेंगे, आकाश रहेगाआकाश से मेरा बचपन से ही लगाव रहा हैबचपन मे अपने गाँव मे रात मे छत पर सोने समय खुले आकाशे मे चाँद तारों को देख कर आनंदित हुआ करता थाआकाश ने मुझे अब बचपन से ही आकर्षित किया हैखासकर क्षितिज ने

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