अब जादा कुछ लिखने का मन नही करता। जितना लिखा काफ़ी है. अगर तुम एक बात भी समझ गए टू काफ़ी है. जादा लिखने से तुम confuse हो जाओगे. तुम पहले से ही काफ़ी confuse हो. मैं तुम्हे और confuse नही करना चाहता. सत्य को जादा बार लिखने से उसकी पुनरावृति होने लगती है. क्योंकि सत्य एक है. जितना मैंने लिखे उतना ही है. इस से जादा लिखने का कुछ है भी नही. मेरे और बुद्ध मे जादा कोई भेद नही है. क्योंकि अस्तित्व हर जगह बराबर है. बुद्धत्व का मतलब अस्तित्व से जुड़ने से है. वहाँ व्यक्ति नही रहता वहाँ शुद्ध अस्तित्व रहता है. सिद्धार्थ टू उसी दिन मर गया था जिस दिन उन्हें ज्ञान मिला था. शरीर टू बस माध्यम है जिसमे सत्य प्रकट होता है. जिसमे सत्य का आविर्भाव होता है. तुम हटो तभी तुम्हे ज्ञान मिलेगा. तुम ही ज्ञान को तुम तक नही पहुँचने देते. तुम्हारी किताबी बुद्धि सत्य को तुम तक नही पहुँचने देती. इसलिए टू विद्वान आदमी को सत्य नही मिलता है. सत्य मिलता है निर्मल ह्रदय की आदमी को. शुद्ध वृत्ति हो जिसकी. किताबी आदमी ऐसे स्लेट की तरह होता है जिसपर कुछ पहले से ही लिखा हो. अब उसपर कुछ नया लिख पाना सम्भव नही है. सत्य उसपर कभी नही लिखा जाएगा. क्योंकि वह पहले से ही लिखा हुआ है. अब उसमे सत्य को लिखने की कोई जगह नही है. सारा जगह अहंकार से भरा हुआ है. कहाँ लिखोगे? लिखने के लिए थोरा खाली स्थान टू चाहिए? अहंकार ने सारे स्थान को भर लिया है. इसलिए मैं कहता हूँ अहंकार त्यागो.
अगर तुम ध्यान करोगे टू तुम्हे सत्य के दर्शन हो सकते हैं. मई ये नही कहता की बिना ध्यान किए सत्य नही मिलता है. खूब मिलता है. बिना ध्यान किए ही सत्य मिलता है. बस ध्यान थोरा प्रायोगिक है. करो टू थिक न करो टू भी थिक. एक बात जो मुझे कभी ध्यान मे पता चला था वो तुम्हे बताता हूँ. अभी भी अव्यक्त का बहोत कम हिस्सा व्यक्त हुआ hai. इसलिए टू इस ब्रह्माण्ड मे जादातर स्थान खाली है तुम एक कमरे को ही लो. कमरे का ९९% से अधिक हिस्सा खली होता है. वहाँ सिर्फ़ हवा होती है. तुम परमाणु को ही लो. एक परमाणु मे भी ९९% से अधिक हिस्सा खली होता है. परमाणु के नाभि और एलेक्ट्रों को बीच मे बहोत सारा खाली स्थान है. तुम अगर सौर परिवार की भी लो. वहाँ भी वही हाल है. सूर्य और पृथ्वी के बीच १५ करोर किलोमीटर का खली स्थान है. उसी तरह से अगर तुम पूरे ब्रह्माण्ड का आयतन निकालो और ठोस पदार्थ का आयतन निकालो टू तुम पाओगे की ठोस पदार्थ का आयतन खली स्थान के आयतन के सापेक्ष कुछ भी नही है. इस से पता चलता है की अभी अव्यक्त थिक से व्यक्त नही हुआ है इसलिए इतने खाली स्थान हैं.
जब तुम्हे सत्य मिलेगा टू तुम यकीन नही कर पाओगे की अरे ये इतना आसान था पर जब तुम्हे सत्य मिलेगा टू तुम, तुम न रहोगे तुम ख़ुद ही सत्य हो जाओगे।
मेरा बस तुमसे एक निवेदन hai. तुम मेरे शब्द को मत पकारना. तुम हमेशा से यही करते आए हो. तुम शब्द ही पकर लेते हो. तुम शब्द मे छिपे भाव को पक्रो. शब्द टू बस माध्यम hai, जिस से भाव प्रकट होता hai.
अगर तुम ध्यान करोगे टू तुम्हे सत्य के दर्शन हो सकते हैं. मई ये नही कहता की बिना ध्यान किए सत्य नही मिलता है. खूब मिलता है. बिना ध्यान किए ही सत्य मिलता है. बस ध्यान थोरा प्रायोगिक है. करो टू थिक न करो टू भी थिक. एक बात जो मुझे कभी ध्यान मे पता चला था वो तुम्हे बताता हूँ. अभी भी अव्यक्त का बहोत कम हिस्सा व्यक्त हुआ hai. इसलिए टू इस ब्रह्माण्ड मे जादातर स्थान खाली है तुम एक कमरे को ही लो. कमरे का ९९% से अधिक हिस्सा खली होता है. वहाँ सिर्फ़ हवा होती है. तुम परमाणु को ही लो. एक परमाणु मे भी ९९% से अधिक हिस्सा खली होता है. परमाणु के नाभि और एलेक्ट्रों को बीच मे बहोत सारा खाली स्थान है. तुम अगर सौर परिवार की भी लो. वहाँ भी वही हाल है. सूर्य और पृथ्वी के बीच १५ करोर किलोमीटर का खली स्थान है. उसी तरह से अगर तुम पूरे ब्रह्माण्ड का आयतन निकालो और ठोस पदार्थ का आयतन निकालो टू तुम पाओगे की ठोस पदार्थ का आयतन खली स्थान के आयतन के सापेक्ष कुछ भी नही है. इस से पता चलता है की अभी अव्यक्त थिक से व्यक्त नही हुआ है इसलिए इतने खाली स्थान हैं.
जब तुम्हे सत्य मिलेगा टू तुम यकीन नही कर पाओगे की अरे ये इतना आसान था पर जब तुम्हे सत्य मिलेगा टू तुम, तुम न रहोगे तुम ख़ुद ही सत्य हो जाओगे।
मेरा बस तुमसे एक निवेदन hai. तुम मेरे शब्द को मत पकारना. तुम हमेशा से यही करते आए हो. तुम शब्द ही पकर लेते हो. तुम शब्द मे छिपे भाव को पक्रो. शब्द टू बस माध्यम hai, जिस से भाव प्रकट होता hai.
1 comment:
Hmmm....mann ke haare haar hein, mann ke jeete jeet!
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